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कभी दिमाग़ कभी दिल कभी नज़र में रहो ये सब तुम्हारे ही घर हैं किसी भी घर में रहो जला न लो कहीं हमदर्दियों में अपना वजूद गली में आग लगी हो तो अपने घर में रहो तुम्हें पता ये चले घर की राहतें क्या हैं हमारी तरह अगर चार दिन सफ़र में रहो है… Continue reading **

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अंदर का जहर चूम लिया सब धूल के आ गएकितने शरीफ़ लोग थे सब खुल के आ गए सूरज से जंग जीतने निकले थे बेवक़ूफ़ सारे सिपाही मोम के थे घुल के आ गए मस्जिद में दूर-दूर कोई दूसरा न था हम आज अपने आप से मिल-जुल के आ गए नींदों से जंग होती रहेगी तमाम उम्र आँखों में बंद ख़्वाब… Continue reading **

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ये माना जिंदगी हैं चार दिन की बहुत हैं यारों चार दिन भी फिराक गोरखपुरी

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ले दे कर अपने पास फकत नजर ही तो है क्यों देखें जिंदगी को किसी की नजर से हम।। साहिर लुधियानवी

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चिंता वाकी कीजिए जो अनहोनी होए अनहोनी होनी नहीं होनी है सो होए।। तुलसीदास जी

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🤴 राहों में तुमको जो धूप सताएं छांव बिछा देंगे हम अंधेरे डराएं तो जाकर फलक पे चांद सजा देंगे हम छाए उदासी लतीफे सुनाकर तुमको हंसा देंगे हम हंसते हंसाते यूंही गुनगुनाते चल देंगे चार कदम 👸- तुमसा मिले जो कोई रहगुजर दुनियां से कौन डरें चार कदम क्या सारी उमर चल दूंगी साथ… Continue reading **